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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

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'हलीम' उवाच
ज़िन्दगी में आपकी जो भी दर्द-औ-ग़म हों,
मुसीबतें हों परेशानियाँ या रुस्वाइयाँ हों.
बस परवरदिगार से यही है दुआ हमारी,
कि नई साल के आते ही हवा हों सारी.
 निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
'हलीम' उवाच

ज़िन्दगी में आपकी जो भी दर्द-औ-ग़म हों,
मुसीबतें हों परेशानियाँ या रुस्वाइयाँ हों.

बस परवरदिगार से यही है दुआ हमारी,
कि नई साल के आते ही हवा हों सारी.
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें
 निषेध कुमार कटियार 'हलीम'

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

'हलीम' उवाच

मास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे - ‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं। संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है। जर्मन आदि भाषाओं में भी समास का बहुत अधिक प्रयोग होता है।

समासिक शब्द
समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।
समास-विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। जैसे-राजपुत्र-राजा का पुत्र।
पूर्वपद और उत्तरपद
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।


अव्ययीभाव समास

जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु कर) इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
कुछ अन्य उदाहरण -
  • आजीवन - जीवन-भर
  • यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
  • यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
  • यथाविधि- विधि के अनुसार
  • यथाक्रम - क्रम के अनुसार
  • भरपेट- पेट भरकर
  • हररोज़ - रोज़-रोज़
  • हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में
  • रातोंरात - रात ही रात में
  • प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
  • बेशक - शक के बिना
  • निडर - डर के बिना
  • निस्संदेह - संदेह के बिना
  • प्रतिवर्ष - हर वर्ष
अव्ययीभाव समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।

तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास छह भेद हैं-
  1. कर्म तत्पुरुष (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)
  2. करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)
  3. संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)
  4. अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)
  5. संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)
  6. अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)

द्वन्द्व समास

जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है, वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे-
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
पाप-पुण्य पाप और पुण्य अन्न-जल अन्न और जल
सीता-राम सीता और राम खरा-खोटा खरा और खोटा
ऊँच-नीच ऊँच और नीच राधा-कृष्ण राधा और कृष्ण


द्विगु समास
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे -
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
नवग्रह नौ ग्रहों का मसूह दोपहर दो पहरों का समाहार
त्रिलोक तीनों लोकों का समाहार चौमासा चार मासों का समूह
नवरात्र नौ रात्रियों का समूह शताब्दी सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
अठन्नी आठ आनों का समूह त्रयम्बकेश्वर तीन लोकों का ईश्वर


कर्मधारय समास
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्ववद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे -
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
चंद्रमुख चंद्र जैसा मुख कमलनयन कमल के समान नयन
देहलता देह रूपी लता दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (वस्त्र)
सज्जन सत् (अच्छा) जन नरसिंह नरों में सिंह के समान



बहुव्रीहि समास

जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे -
समस्त पद समास-विग्रह
दशानन दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
सुलोचना सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी
पीतांबर पीले है अम्बर (वस्त्र) जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण
लंबोदर लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेशजी
दुरात्मा बुरी आत्मा वाला (कोई दुष्ट)
श्वेतांबर श्वेत है जिसके अंबर (वस्त्र) अर्थात् सरस्वती जी


कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर

कर्मधारय में समस्त-पद का एक पद दूसरे का विशेषण होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है। जैसे - नीलकंठ = नीला कंठ। बहुव्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता है। इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान हो जाता है। जैसे - नील+कंठ = नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव ।
 

संधि और समास में अंतर

संधि वर्णों में होती है। इसमें विभक्ति या शब्द का लोप नहीं होता है। जैसे - देव+आलय = देवालय। समास दो पदों में होता है। समास होने पर विभक्ति या शब्दों का लोप भी हो जाता है। जैसे - माता-पिता = माता और पिता।







सोमवार, 12 दिसंबर 2011

'हलीम' उवाच

अभी तनिक दिन बीते जब
घर का हर कोना भाता था,
आज मगर न बात है वो जो
तब खुशियाँ भर लाता था.

सर्दी में आँगन में बैठे
धूप सेंकने का वो सुख,
छिटक चाँदनी में नभ-दर्शन
अब रह रह कर देता है दुःख.

जहाँ खेलते थे हम सब
लड़ते चाचा से पिटते थे,
बाबा के संग खाना खाते
चिड़ियों को दाना देते थे.

एक दिवस फिर बाबा ने
ली अंतिम साँस उसी आँगन में,
अब तक कितनी आशाएं जीवन की
बिखर चुकीं उस आँगन में.

दीदी की शादी पर जब
कई हाथों में मेहंदी लगती,
और दीवाली में छत से
लेकर दीवारें तक सजतीं.

वो दर वो दीवारें और आंगन
सब आज पराया लगता है,
पिछली बातें याद करूँ
तो दिल मेरा भर आता है.

निषेध कुमार कटियार 'हलीम'

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011


आप ऐसे न मुझको छला कीजिए

करिए वादा अगर तो मिला कीजिए ।।

कोई भी ना रहे प्यार के दरमियाँ

अब ख़तम बीच का फ़ासला कीजिए ।।



काली गहरी अमावस की रातों में भी

बन के दीपक हृदय में जला कीजिए ।।

अब तो गलियों में भी चर्चे होने लगे

साथ मेरे नहीं अब चला कीजिए ।।



देख भँवरे दीवाने से हो जाएंगे

आप बन कर कली मत खिला कीजिए ।।

आपका है ये बस, आपका है
कोई शिक़वा अगर हो, गिला कीजिए ।।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011



'हलीम' उवाच

स दशहरा ये बात सोचें कि रावन का पुतला दहन कहाँ तक उचित है, तबकि जब हम हर साल इसे जलाते तो हैं लेकिन इसके किसी पहलू पर विचार नहीं करते. रावन जिस बेचारे ने इतनी विद्या और ज्ञान होने के बावजूद अपनी केवल एक गलती की सजा मौत पाई, और आज तक वो सजा भुगत रहा है कि हम उसका पुतला जलाते चले आ रहे हैं. वो जिस सम्मान का हक़दार था वो उसे नहीं मिला. तो जरा सोचिये हम और आप जो इतनी गलतियाँ करते है उनकी सजा क्या रावन से अधिक या समतुल्य नहीं होना चाहिए?

बुधवार, 17 अगस्त 2011

अब तो जागो हिन्दुस्तानी...

'हलीम' उवाच

भाइयों देश जिस ओर जा रहा है वो रास्ता हम सबके लिए दुर्दिन लाने वाला है यह हम सब जानते हैं और मानते भी हैं पर करना कुछ नहीं चाहते. ऐसा क्यों? क्या यह देश या समाज उतना ही हमारा ही नहीं जितना हमारे शहीदों का था या उन देशद्रोही राजनेताओं का है जो इसे अपना बोलकर ही तो लूटते जा रहे हैं? फिर क्या कारण है कि हम तब पीछे रह जाते हैं जब हमें आगे रहना चाहिए.
आइये दोस्तों किसी पार्टी विशेष के पिछलग्गू न बनकर हम निरपेक्ष भाव से भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में अन्ना जी का समर्थन कर उनके हाथों को मजबूत करें. ताकि यह लड़ाई और तेज़ हो सके और हमारे लिए एक सुन्दर समाज बन सके. याद रखिये अगर आपने कुछ नहीं किया तो आपकी अगली नस्लें बुरे हालातों के लिए आपको ही कोसेंगी. इस शर्म को भूल जाईये कि लोग क्या कहेंगे और डर को भी निकाल दीजिये.
करना आपको यह है कि इस सन्देश को जम कर फैलाएं ताकि एक मुहिम चलाई जा सके. कितने ही बेकार के लिंक, मैसेज और फ़ोटोज़ हम शेयर किया करते हैं फिर क्या एक क्लिक अच्छे काम के लिए नहीं करेंगे? शुक्रिया दोस्तों फिर आऊंगा एक नए जोश और सन्देश के साथ.

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

'हलीम' उवाच


जश्न-ए-आज़ादी में...

आइये महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को,
जश्न-ए-आज़ादी में तब मैं ले चलूँगा आपको.

मर गए लाखों-करोड़ों और  भी मरने अभी,
क्या चुका सकते हो कीमत जान की उनकी कभी.

चौंसठ बरस से ढोंग जो अब तक सिखाते आये  हो,
अर्थ जीने का वतन में फिर भी समझ न पाए हो.

मनुज अपने कर्म से डगमग भटकता खो रहा,
स्वर्ग जैसी भूमि पर क्या-क्या न अधरम हो रहा.

देश में हर रोज़ पांचाली उघारी जा रही,
या अहिंसा की यहाँ पर नथ उतारी जा रही.

हैं तरसते जिस्म कितने एक लंगोटी के लिए,
बेचती है लाज औरत आज रोटी के लिए.

बिक गया हर हाथ संसद बन चुकी बाज़ार है,
हर तरफ नफरत बढ़ी हर हाथ में तलवार है.

धर्म नैतिकता के ठेकेदार सब बैठे जमा,
चोर बनता संत और मासूम झेले मुकदमा.

सड़ रहे जनतंत्र के मक्कार पैरोकार को,
हर सियासत चाहने वालों को और सरकार को.

मैं निमंत्रण दे रहा हूँ आयें आज इस जश्न में,
'हिंद' का कैसे भला हो? तर्क दें इस प्रश्न में.

-निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
 

बुधवार, 27 जुलाई 2011

'हलीम' उवाच

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे ,

वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे ?.  
 
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ,

ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे .  
 
एक बनफूल था इस शहर में वो भी ना रहा, 

कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे . 
 
ज़िन्दगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा, 

वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे .  
 
हम अपने आप से कुछ इस तरह हुए रुखसत, 
साँस को छोड़ दिया जिस तरफ जाना चाहे .

 by- Dr. Kumar Vishvas

गुरुवार, 16 जून 2011

Paryawaran Aur Hum

'हलीम' उवाच

प्रकृति और पर्यावरण
अब बनेंगी जूट की सड़कें
अमलतास
ऑस्ट्रेलिया के कंगारू
काँटों में खिलता सौंदर्
गरमाती धरती घबराती दुनिया
उपयोगी ढंग कदंब के

ऊर्जा का प्राकृतिक विकल्प पवन ऊर्जा
कचरे का कमाल
केसर - एक अनमोल वनस्पति
चिर सखा है बाँस

बूँद बूँद से घट भरे– भूमिगत जल के परिप्रेक्ष्य में--
लाल फूलों वाला गुलमोहर
वर्षा के पानी का संरक्षण
सतलुज की कहानी
सदाबहार की बहार
सुकेती जीवाश्म पार्क
हवा हो जाएँगी चिड़ियाँ

रामराज्य में प्रकृति और पर्यावरण
वृक्ष: भिन्न देश- भिन्न परंपराएँ
सागर की संतानें अल-नीनो एवं ला-नीना
आयी बरखा बहार
ऋतुओं की झाँकी— वसंत¸ ग्रीष्म¸ वर्षा¸ सर्दी
वर्षा विगत शरद ऋतु आई
पर्यावरण, प्रदूषण एवं आकस्मिक संकट
जीवन रक्षक छतरी और गरमी का शीशमहल
पर्यावरण या जनावरण
अब हरे-भरे पेड़-पौधों से उत्पन्न होगी बिजली
आपदाओं का धनजल
आसमान में चित्रकारी

सावधान मौसम बदल रहे हैं
अभावों का ऋणजल

मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा
बिन चिड़िया का जंगल
मानसून- प्रकृति का जीवन संगीत
पलाश वन फूले
भोजपुरी में नीम आम और जामुन

शनिवार, 28 मई 2011

ecology

'हलीम' उवाच

सिंहावलोकन

बजा कैलीफोर्निया रेगिस्तान,काटाविन्ना ज़िला, मेक्सिको के वनस्पति.
बिना वृक्ष के घास का मैदान गोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र, टानज़ानिया में.
पारिस्थितिकी तंत्र शब्द को 1930 मैं रोय क्लाफाम द्वारा एक पर्यावरण के संयुक्त शारीरिक और जैविक घटकों को निरूपित करने के लिए बनाया गया था. ब्रिटिश परिस्थितिविज्ञानशास्री आर्थर तनस्ले ने बाद में, इस शब्द को परिष्कृत करते हुए यह वर्णन दिया "यह पूरी प्रणाली... न केवल जीव-परिसर है, लेकिन वह सभी भौतिक कारकों का पूरा परिसर भी शामिल हैं जिसे हम पर्यावरण कहते हैं".[२] तनस्ले पारितंत्रों को न केवल प्राकृतिक इकाइयाँ के रूप में, बल्कि "मानसिक आइसोलेट्स" के रूप में भी मानते थे.[२] तनस्ले ने बाद में [३][३][३][३] "ईकोटोप" शब्द के प्रयोग द्वारा पारितंत्रों के स्थानिक हद को परिभाषित किया.
पारिस्थितिकी तंत्र अवधारणा का मुख्य विचार यह है कि जीवित जीव अपने स्थानीय परिवेश में हर दूसरे तत्व को प्रभावित करतें हैं. यूजीन ओदुम, पारिस्थितिकी के एक संस्थापक ने कहा:" एक इकाई जिसमें सभी जीव शामिल हों (अर्थात्: " समुदाय " ) जो भौतिक वातावरण को प्रभावित करें कि प्रणाली के भीतर ऊर्जा का एक प्रवाह स्पष्ट रूप से परिभाषित पोषण संरचना, बायोटिक विभिन्नता, और सामग्री चक्र (अर्थात्: जीवित और निर्जीव भागों के बीच सामग्री का आदान प्रदान ) एक पारिस्थितिकी तंत्र है. " [४] मानव पारिस्थितिकी तंत्र अवधारणा फिर मानव / प्रकृति द्विभाजन के व्याख्या पर आधारित है और इस आधार पर है कि सभी प्रजातियाँ एक दूसरे के साथ और उनके बायोटोप के ऐबायोटिक अंगीभूत के साथ पारिस्थितिकता से एकीकृत हैं .

[संपादित करें] पारितंत्र के उदाहरण

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[संपादित करें] बायोम्स

पृथ्वी सम्बन्धी मौसम और भौगोलिक दृष्टि से समान क्षेत्र वनस्पति द्बारा वर्गीकृत मानचित्र
बायोम एक पारिस्थितिकी तंत्र के समान है जिसमें एक मौसमी और भौगोलिक दृष्टि से परिभाषित किया गया पारिस्थितिकी समान जलवायु परिस्थितियों के क्षेत्र जैसे कि पौधों, पशुओं के समुदायों, और मिट्टी अवयव के रूप में अक्सर पारितंत्र के रूप में संदर्भित किया जाता है. बायोम्स संयंत्र संरचनाओं (जैसे कि पेड़, झुरमुट और घास ), पत्ता प्रकार ( ब्रॉडलीफ और नीडललीफ ), संयंत्र अंतरालन (वन, वुडलैंड, सावान्ना) और जलवायु जैसे कारकों के आधार पर परिभाषित किया जाता है.इकोज़ोन के असमान, बायोम, वर्गीकरण, आनुवंशिक या ऐतिहासिक समानताएं के आधार पर परिभाषित नहीं किया जाता.बायोम की पहचान अक्सर पारिस्थितिक अनुक्रम और चरमोत्कर्ष वनस्पति के विशेष नमूनों के साथ की जाती है.

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र विषय

[संपादित करें] वर्गीकरण

दैन्त्री प्रचुर-वर्षा वन क्वीन्सलैंड, ऑस्ट्रेलिया में.
175 से अधिक देशों द्वारा मान्यताप्राप्त जैव विविधता सम्मेलन (सीबीडी), के बाद विशेष रूप से राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण बना पारितंत्र "पारितंत्र, प्राकृतिक निवास का संरक्षण तथा प्राकृतिक वातावरण में विकासक्षम प्रजातियों की आबादियों का अनुरक्षण" संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम[५][५][५][५] मंजूर करने वाले देशों की प्रतिबद्धता के रूप मेंइससे स्थानिक पारिस्थितिकी प्रणालियों की पहचान करने के लिए और उनके भेद के लिए राजनीतिक आवश्यकता पैदा हो गयी है.CBD "पारिस्थितिकी तंत्र" को इस प्रकार परिभाषित करता है: "पौधे, जानवर और सूक्ष्म जीव समुदायों का एक गत्यात्मकै परिसर और उनका निर्जीव पर्यावरण जो एक कार्यात्मक इकाई के रूप में काम करते हैं"
पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण की आवश्यकता के साथ, उनका वर्णन करने के लिए और कुशलतापूर्वक उन्हें पहचानने की राजनीतिक जरूरत पड़ी.व्रयूगदेन्हिल और सब कहते हैं कि एक फिजियोग्नोमिक -पारिस्थितिक वर्गीकरण प्रणाली के इस्तेमाल से यह सबसे अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सकता है क्यूंकि पारितंत्र आसानी से इस क्षेत्र के साथ उपग्रह छवियों पर भी अभिज्ञेय हैं.उन्होंने कहा कि संबंधित वनस्पति के संरचना और मौसम-तत्व, पारिस्थितिक डेटा से पूरित ( जैसे की उन्नयन, आर्द्रता और जलनिकासी ) प्रत्येक आपरिवर्तक निर्धारक हैं जो आंशिक रूप से अलग सेट प्रजातियों को अलग करते हैं. यह न केवल वनस्पति प्रजातियों के लिए सच है, बल्कि पशुओं की प्रजातियों, कवक और जीवाणु के लिए भी सच है. परितंत्र के पहचान की मात्रा फीसिओग्नोमिक आपरिवर्तक के अधीन है जिसे एक छवि और/ या क्षेत्र में पहचाना जा सकता है.जहां आवश्यक हो, विशेष पशुवर्ग तत्वों को जोड़ा जा सकता है, जैसे की पशुओं की मौसमी सांद्रता और प्रवाल की चट्टान का वितरण.
कई फीसिओग्नोमिक-पारिस्थितिक वर्गीकरण प्रणालियां उपलब्ध हैं:
  • फीसिओग्नोमिक-पारिस्थितिक वर्गीकरण पृथ्वी की वनस्पति उत्पत्ति : एक प्रणाली म्यूएलर-डोमबोइस और हेंज़ एल्लेनबर्ग [६] के 1974 कार्य पर आधारित है, और UNESCO द्वारा विकसित किया गया है. यह ऊपरी जमीन या अन्तर्जलीय वनस्पति संरचनाओं और झाड़ी के क्षेत्र के रूप में दीखता है जो जीवन रुपी पौधे के रूप में अंकित का वर्णन करता है.यह वर्गीकरण मूलरूप से एक प्रजाति-निरपेक्ष फीसिओग्नोमिक, पदानुक्रमित वनस्पति वर्गीकरण प्रणाली है जो पारिस्थितिकी कारकों के महत्त्व को भी मानता है जैसे जलवायु, उन्नयन, मानव प्रभाव जैसे चराई, ह्याद्रिक शासनों और अस्तित्व रणनीती जैसे की मौसमीपन.इस प्रणाली को एक बुनियादी वर्गीकरण के साथ खुले जल संरचनाओं के लिए विस्तारित किया गया.[७]
  • भूमि कवर वर्गीकरण प्रणाली (एल सी सी एस), खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा विकसित.[८]
कई जलीय वर्गीकरण प्रणाली, एक प्रयास है और संयुक्त राज्य अमेरिका भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) और अंतर अमेरिकी जैव विविधता सूचना नेटवर्क (IABIN) द्वारा किया जा रहा है कि दोनों टेरेस्ट्रियल और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों को कवर किया जाएगा एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र वर्गीकरण प्रणाली अभिकल्पना करने के लिए उपलब्ध हैं.
विज्ञान के परिप्रेक्ष्य से, पारितंत्र असतत ईकायाँ नहीं हैं जो केवल एक "सही" वर्गीकरण दृष्टिकोण का अधिकार पर पह्चाने जा सकतें हैं. टेन्सले द्वारा इस परिभाषा के साथ समझौते में ("मानसिक पृथकता") पारितंत्र का वर्णन या वर्गीकरण करने का प्रयत्न प्रामाणिक तर्क सहित वर्गीकरण में पर्यवेक्षक / विश्लेषक निवेश के बारे में स्पष्ट होना चाहिए.
ग्रीष्मकालीन क्षेत्र बेल्जियम (हमोई) में. नीला फूल सन्तोरीया स्यनूस है और लाल वाली पापावेर रोईआस है.

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं

"मौलिक जीवन-आधार सेवाएँ जिनपर मानव सभ्यता निर्भर करता है," और यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो उन्हें पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं कहते हैं . प्रत्यक्ष पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ के उदाहरण: परागण, लकड़ी, और कटाव की रोकथाम हैं. जलवायु अनतिक्रम, पोषक तत्व चक्र, और प्राकृतिक पदार्थ विषहरण अप्रत्यक्ष सेवाएँ के उदहारण विचार किये जा सकते हैं.

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र कानूनी अधिकार

तमक्वा नगर, पेंसिल्वेनिया ने पारितंत्रों को कानूनी अधिकार देने के लिए एक कानून पारित किया.इस अध्यादेश कि नगरपालिका सरकार या किसी भी Tamaqua निवासी ने स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की ओर से एक मुकदमा दर्ज कर सकते हैं स्थापित करता है.[९] रश जैसे अन्य नगर-क्षेत्र, ने भी वाही किया और अपने स्वयं का कानून पारित किया.[१०]
कानूनी राय का एक बढ़ती निकाय का हिस्सा 'जंगली कानून'का प्रस्ताव है. जंगली कानून , यह शब्द कोरमैक कल्लिननद्वारा ( दक्षिण अफ्रीका में आधारित एक वकील ), पक्षी और जानवर, नदियों और रेगिस्तान का व्याखित किया जाएगा.[११] पर

[संपादित करें] प्रकार्य और जैव विविधता

एक मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण से, कई लोग पारिस्थितिक तंत्र को उत्पादन इकाइयों जैसे माल और सेवाओं इकाइयों के उत्पादन सामान रूप में देखते हैं.पारितंत्र द्वारा उत्पादित कुछ आम वस्तुओं में से जंगल पारिस्थितिक तंत्र से लकडियाँ और पशु के लिए घास प्राकृतिक घास के मैदानों से. जंगली जानवरों के मांस, अक्सर बुश मांस के नाम से अफ्रीका में उल्लिखित है,और दक्षिण अफ्रीका और केन्या में नियन्त्रित प्रबंध योजनाओं के कारण अत्यधिक सफल है. बहुत कम सफल खोज और दवा प्रयोजनों के लिए वन्य जीव के पदार्थों का व्यावसायीकरण कर दिया गया है. सेवाएँ पारितंत्र से प्राप्त करने के लिए पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के रूप में भेजा जाता है. वे (1) प्रकृति का है जो पर्यटन के क्षेत्र में आय और रोजगार के कई रूपों उत्पन्न मई को आनंद, सुविधा, अक्सर करने के लिए पर्यावरण के रूप में संदर्भित-पर्यटन, (2) पानी प्रतिधारण, इस प्रकार पानी की एक और अधिक समान वितरण जारी सुविधा, शामिल हो सकते हैं (3) भू-संरक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, आदि के लिए खुली हवा में प्रयोगशाला
क्योंकि वहाँ एक स्थान पर और अधिक प्रजातियां मौजूद है और इस तरह 'परिवर्तन को अवशोषित करने के लिए "या इसके प्रभाव को कम प्रतिक्रिया करने के लिए कर रहे हैं प्रजाति या जैविक विविधता का एक बड़ा डिग्री - लोकप्रिय करने के लिए जैव विविधता के रूप में भेजा - एक पारिस्थितिकी तंत्र की एक पारिस्थितिकी तंत्र के अधिक से अधिक लचीलापन को योगदान कर सकते हैं. यह पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना मूलरूप से पहले एक अलग राज्य के लिए बदल दिया है प्रभाव को कम कर देता है. यह सार्वभौमिक मामला नहीं है और वहाँ एक पारिस्थितिकी तंत्र की प्रजाति विविधता है और इसकी क्षमता एक टिकाऊ स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने के लिए: नम उष्णकटिबंधीय जंगलों और अत्यंत बदलने के लिए जोखिम रहता है, बहुत कुछ माल और सेवाओं के उत्पादन के बीच कोई सीधा संबंध साबित होता है, जबकि कई शीतोष्ण वनों तत्काल विकास के अपने पिछले राज्य करने के लिए एक जीवन भर के भीतर या एक जंगल आग की कटाई के बाद वापस हो जाना. एकाध घासभूमि कई हजार वर्षों से (मंगोलिया, अफ्रीका,यूरोप पाँस और मूरलैंड समुदाय)का शोषण चिरस्थायी रूप से हो रहा है.

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र का अध्ययन

1972 में अपोलो 17 के कर्मीदल द्वारा लिया गया,नीली गोली. यह प्रतिबिम्ब अपने किस्म की एकमात्र अक्सी तसवीर है जिसमें,पूर्णत: सूर्य की ज्योति से प्रकाशित पृथ्वी की एक गोलार्द्ध प्रर्दशित है.

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र गतिशीलता

काँटेदार जंगल इफटी में,मेडागास्कर,अभिलाक्षानिक विविध अदान्सोनिया (गोरख इमली )प्रजाति,अल्लोडिया प्रोसेरा (मेडागास्कर ओकोतिल्लो)और अन्य वनस्पति.
एक पारिस्थितिक तंत्र में नए तत्व का परिचय, चाहे जैविक या अजैव, एक विघटनकारी असर होता हैं. कुछ मामलों में, यह एक पारिस्थितिक विफलता या "सौपानिक पोषण श्रृंखला" के तरफ ले जा सकता है और पारिस्थितिक तंत्र के भीतर कई प्रजातियों की मौत हो सकता है. इस नियतात्मक दृष्टिकोण के अंतर्गत, पारिस्थितिक स्वास्थ्य प्रयास एक पारिस्थितिक तंत्र की मजबूती और वसूली क्षमता को मापने के लिए के अमूर्त विचार, अर्थात् कैसे दूर पारिस्थितिक तंत्र दूर अपनी स्थिर राज्य से है.
अक्सर, हालांकि, पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षमता एक विघटनकारी एजेंट से उलट आना पड़ता है. पतन या एक सौम्य उच्छलन के बीच का अंतर दो कारकों द्वारा शुरू तत्व की - की विषाक्तता और मूल पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलाता निर्धारित किया जाता है.
पारितंत्रों मुख्यतः stochastic (संयोग से), इन घटनाओं गैर पर प्रतिक्रियाओं भड़काने-सामग्री रहते हैं, और शर्तों उन्हें आसपास के अवयवों द्वारा प्रतिक्रियाओं घटनाओं संचालित कर रहे हैं. इस प्रकार, इस माहौल में तत्वों से उत्तेजना करने के लिए जीव के व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं का योग से एक पारिस्थितिकी तंत्र परिणाम है. उपस्थिति या आबादी का अभाव केवल प्रजनन और प्रसार सफलता पर निर्भर करता है और जनसंख्या के स्तर stochastic घटनाओं की प्रतिक्रिया में उतार चढ़ाव हो. एक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की संख्या के रूप में, उत्तेजना की संख्या भी अधिक है. जीवन जीव की शुरुआत के बाद से सफल खिला, प्रजनन और प्रसार के प्राकृतिक चयन के माध्यम से व्यवहार लगातार परिवर्तन बच गए हैं. इस ग्रह की प्रजातियां प्राकृतिक चयन के माध्यम से लगातार परिवर्तन द्वारा अपनी जैविक संरचना और वितरण में बदलने के लिए अनुकूलित है.गणितीय है कि अलग अलग बातचीत कारकों का अधिक से अधिक संख्या में प्रत्येक व्यक्ति कारकों में उतार-चढ़ाव निस्र्त्साह करना चाहते हैं का प्रदर्शन किया जा सकता है. जबकि अन्य स्थानीय, उप आबादी लगातार जाते हैं, बाद में अन्य उप के प्रसार के माध्यम से प्रतिस्थापित किया जा करने के लिए जनसंख्या विलुप्त अंदर कदम होगा क्योंकि कुछ प्रजातियां गायब हो जाएगा पृथ्वी पर जीव के बीच महान विविधता को देखते हुए सबसे पारितंत्रों केवल बहुत धीरे धीरे, बदल गया. Stochastists कुछ आंतरिक विनियमन तंत्र प्रकृति में जो घटित पहचान है. इस प्रजाति के स्तर पर आपके सुझाव और प्रतिक्रिया तंत्र, सबसे विशेष रूप से क्षेत्रीय व्यवहार के माध्यम से जनता के स्तर को विनियमित. Andrewatha और सन्टी [१२][१२] की है कि क्षेत्रीय व्यवहार के स्तर पर, जहां खाद्य आपूर्ति एक सीमित कारक नहीं है आबादियों रखने के लिए जाता है का सुझाव देते हैं. इसलिए, stochastists में पारिस्थितिकी तंत्र स्तर पर इस प्रजाति के स्तर पर एक नियामक तंत्र के रूप में नहीं बल्कि क्षेत्रीय व्यवहार देखो. इस प्रकार, उनकी दृष्टि में, पारितंत्रों राय और प्रतिक्रिया तंत्र द्वारा (पारिस्थितिकी से) प्रणाली ही और विनियमित नहीं कर रहे हैं वहाँ प्रकृति का एक संतुलन जैसी कोई चीज नहीं है.
उत्तरी ध्रुवी के ऊंची प्रदेश में कम पेड वाले पर्वत रानगल द्वीप में,रूस
यदि पारितंत्रों वास्तव मुख्यतः stochastic प्रक्रियाओं से संचालित कर रहे हैं, वे और अधिक प्रत्येक प्रजातियों की तुलना में अचानक परिवर्तन करने के लिए व्यक्तिगत रूप लचीला हो सकता है. प्रकृति का एक संतुलन के अभाव में, पारिस्थितिकी प्रणालियों की प्रजातियों संरचना है, लेकिन यह है कि बदलाव की प्रकृति पर निर्भर करेगा कि परिवर्तन से गुजरना होगा पूरे पारिस्थितिक पतन शायद बिरला घटनाओं होगा.
यह सैद्धांतिक परिस्थितिविज्ञानशास्री रॉबर्ट उलनोविच्क्स पारितंत्रों की संरचना का वर्णन करने के लिए, परस्पर सूचनाओं का अध्ययन प्रणालियों में (सहसम्बन्ध) पर बल सूचना सिद्धांत उपकरणों का इस्तेमाल किया है. इस पद्धति और जटिल पारितंत्रों के पूर्व टिप्पणियों पर चित्रकारी, उलानोविच्क्स पारितंत्रों पर तनाव के स्तर को निर्धारित करने और भविष्यवाणी प्रणाली प्रतिक्रियाओं उनकी सेटिंग में परिवर्तन के प्रकार परिभाषित करने के लिए (जैसे बढ़ या ऊर्जा का प्रवाह कम है, और eutrophication के दृष्टिकोण दर्शाया गया है.[१३] , जीवन संगठन की बुनियादी बातों के रूप में करने के लिए भी संबंधपरक आदेश सिद्धांतों देखें.
वन सान जुआन द्वीप में

[संपादित करें] पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान

पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान पारिस्थितिक तंत्र की जैविक और अजैवघटकों का एकीकृत अध्ययन है और एक पारिस्थितिक तंत्र चौखटे में उनके संपर्क का अध्ययन है. यह विज्ञान पारिस्थितिक तंत्र के कार्य का निरक्षण करता है और इससे उनके आंशिक जैसे रसायन, आधार-शैल, मिट्टी, पौधें और जानवरों से संबंधित है.पारिस्थितिक तंत्र शारीरिक और जैविक बनावट का निरीक्षण करता है और इन पारिस्थितिक तंत्र विशेषताएँ का प्रभाव का विश्लेषण करतें हैं.

[संपादित करें] परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र

मानुषिक पारिस्थिथिक तंत्र की एक हवाई दृश्य: शिकागो, इलिनोइस.
परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र पारिस्थितिकी के एक अंतर्विषयक क्षेत्र हैं, जिसमें पारिस्थितिक तंत्र का अध्ययन एक समग्र दृष्टिकोण से ली गयी है, खासकर पारिस्थितिक तंत्र. परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र सामान्य सिद्धांत तंत्र को पारिस्थितिकी पर प्रयुक्ति के रूप में देखा जा सकता है. परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र दृष्टिकोण का यह केन्द्रीय विचार है की पारिस्थितिक तंत्र एक पेचीदा तंत्र है जिसमें आकस्मिक गुणधर्म प्रर्दशित होते हैं. परिस्थिथि-विज्ञान की केंद्र बिंदु जैविक और पारिस्थितिक तंत्र के अंतःक्रिया और लेन-देन के भीतर और बीच है, और विशेष रूप से पारिस्थितिक तंत्र से संबन्धित कार्य कैसे मानव हस्तक्षेप से प्रभावित है. यह ऊष्मा-गतिकी के संकल्पना के उपयोग और विस्तार से पेचदार तंत्र के व्यापक वर्णन विकसित करता है.
परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र और पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के बीच का रिश्ता बड़ी ही पेचीदा है.परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र ज्यादातर पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के उपसमुच्चय माने जा सकते हैं.पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान कई पद्यतियां प्रयोग मे लातें हैं जिसका परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र के सम्पूर्ण दृष्टिकोण से कम लेना देना है. परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र सक्रिय रूप से बाहरी प्रभाव जैसे अर्त्शास्त्र को मानतें हैं जो पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के दयिरे के बाहर गिर्तें हैं.जबकि पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान की परिभाषा पारिस्थितिक तंत्र का वैज्ञानिक अध्ययन कहा जा सकता है, पारिस्थितिक तंत्र का विशेष प्रयास पारिस्थितिकीय तंत्र और प्रतिभास के तंत्र पर प्रभाव का अध्ययन है.

[संपादित करें] सहस्राब्दी पारिस्थितिक तंत्र आँकलन

2005 में,[१४] के सबसे बडे मूल्यांकन http://www.maweb.org 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों के एक अनुसंधान दल द्वारा आयोजित किया गया. इस मूल्यांकन के निष्कर्ष बहु मात्रा सहस्त्राब्दि पारिस्थितिकी तंत्र आँकलन में प्रकाशित किया गया, जिसके विष्कर्ष परिणाम के अनुसार पिछले 50 वर्षों में मनुष्य द्बारा पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का परिवर्तन अब तक के हमारे इतिहास के किसी और समय में नहीं पाया गया था.

[संपादित करें] यह भी देखें

साँचा:Five oceans

गुरुवार, 26 मई 2011

tayyari

'हलीम' उवाच

इस बार आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा सीसैट के नाम से हो रही है। प्रारंभिक परीक्षा में पहली बार निर्णय लेने एवं समस्या समाधान और अंतरवैयक्तिक कौशल एवं संप्रेषण कौशल से संबंधित विषयों पर सवाल पूछे जाएंगे। इसका उद्देश्य आपकी उस प्रतिभा का मूल्यांकन है, जो लोकसेवक बनने के लिए जरूरी है। आयोग ने इस प्रश्नपत्र का चयन आपके प्राकृतिक एवं सहज व्यक्तित्व की परख के लिए किया है। शिक्षा-दीक्षा जो आप से अभिन्न होकर आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन गई, उसका मूल्यांकन होगा। इस समय बेहतर यह होगा कि आप तैयारी के लिए योजना बना लें और उसी के अनुरूप तैयारी करें।
जीएस की तैयारी
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाओं पर विगत वर्षो मे कमीशन सर्वाधिक संख्या में प्रश्न पूछता रहा है। सरसरी तौर पर आप अक्टूबर 2010 से 30 अप्रैल 2011 की घटनाओं पर अधिकाधिक ध्यान दें। जून 2010 से सितम्बर 2010 तक की महत्वपूर्ण घटनाएं, अन्तरराष्ट्रीय संगठन एवं विश्व सामान्य ज्ञान अध्ययन कर लें, तो बेहतर होगा।
भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के टॅापिक पर आपको 20 से 25 घंटे देने होंगे। साहित्य कला, स्थापत्य एवं महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार से संबंधित पाठ्य सामग्री पर विशेष ध्यान दें। आधुनिक भारतीय इतिहास एवं राष्ट्रीय आंदोलन में सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन, कृषक आंदोलन, जनजातीय एवं जातीय आंदोलन, सांप्रदायिक विद्रोह, क्रांतिकारी गतिविधियां एवं प्रशासनिक सुधार और ब्रिटिश आर्थिक नीति, आर्थिक दोहन पर विशेष ध्यान दें। कांग्रेस के तीनों चरण एवं मुस्लिम लीग से संबंधित जानकारी भी पूरी स्पष्टता के साथ याद करें। महात्मा गांधी, गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, डॉ अम्बेडकर एवं जवाहर लाल नेहरू से संबंधित जानकारी भी ठीक से हासिल करें। सभी एक्ट भी देख लें, तो बेहतर होगा।
भारत एवं विश्व भूगोल के अंतर्गत आप इस समय कृषि उद्योग एवं परिवहन मार्ग, भूस्थलाकृतिक तत्व, मानसून एवं जलवायु क्षेत्र, बांध, विद्युत परियोजनाएं व खनिज संसाधन पर विशेष ध्यान दें।
भारतीय संविधान एवं राज व्यवस्था में प्रस्तावना, राज्यों का गठन, मूल अधिकार, नीति निदेशक तत्व, संसद, केन्द्र राज्य संबंध, स्थानीय स्वशासन, राष्ट्रपति, लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग, गर्वनर, सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय, कैग, योजना आयोग, वित्त आयोग को ध्यान से पढें। संविधान की अनुसूची, प्रमुख पदाधिकारियों की शपथ, प्रमुख संशोधन, प्रमुख संवैधानिक अनुच्छेद को अवश्य पढें।
आर्थिक सुधार, डब्लूटीओ और भारत, मनी और बैं¨कग में सरकार की योजनाएं, पंचवर्षीय योजनाएं, राजस्व मौद्रिक नीति, बजट, आर्थिक समीक्षा, जनसंख्या संबंधित आंकडे, पर्यावरण एवं विकास योजनाओं में सामंजस्यपूर्ण स्थिति को बनाए रखने को किए जा रहे उपाय, आर्थिक शब्दाबली, आर्थिक सम्मेलन आदि को इस समय पढना जरूरी होगा।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के अंतर्गत यह जानना आवश्यक है कि पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी में क्या है तथा दोनों में समानता एवं अन्तर संबंध क्या है। इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय संधियां, सम्मेलन व संस्थाएं खासतौर पर देखें। क्योटो प्रोटोकॉल, कोपेन हेगेन सम्मेलन, कैनकुन सम्मेलन, भारतीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम और औद्योगिक जगत के दबाव में लिए गए समझौते महत्वपूर्ण हैं।
सामान्य विज्ञान में शारीरिक संरचना, अंग, तंत्र, भोजन, बीमारियां, प्रभावित होने वाले अंग, दी जाने वाली दवाएं एवं निरोधात्मक उपाय पर ध्यान दें। विभिन्न खोजों और खोजकर्ताओं के नाम, भौतिक विज्ञान के प्रमुख सिद्धान्त, रसायन शास्त्र के प्रमुख तत्व एवं यौगिक भी देखने होंगे।
टाइम मैनेजमेंट है अहम
इस समय करेंट अफेयर्स पर विशेष ध्यान दें। सामान्य ज्ञान के लिए ईयर बुक्स पढें। कैट लेवल की बुक्स पर जरूर ध्यान दें। दसवीं स्तर ेके मैथ के प्रश्नों को सॉल्व करने का अभ्यास करें और सूत्रों को याद करें। जीएस के पुराने पेपर को सॉल्व करें। अब तक जो भी आपने तैयारी की, उसका रिविजन करें तो बेहतर होगा।
नितिन भदौरिया, कानपुर, 62 रैंक
हर पढी हुई किताब के मुख्य तत्व छोटी सी कॅापी में नोट कर लें।
एटलस रोज देखें।
विश्व मानचित्र एवं भारत के मानचित्र को पढाई के मेज के सामने टांग लें।
हर टॉपिक का फ्लो चार्ट जरूर बनाएं। रिवीजन आसान हो जाता है।
मूल अधिकार, नीति-निदेशक तत्व, प्रमुख अनुच्छेद और अनुसूची में संबंधित बिन्दुओं का चार्ट बनाकर मेज पर रख लें। प्रस्तावना याद करें।
सामाजिक आंदोलन, हिन्दू एवं मुस्लिम आंदोलन, धार्मिक आंदोलन, निम्न जाति एवं जाति आंदोलन व किसान आंदोलन का चार्ट बना लें।
कुछ भी नया न पढें। ध्यान रहे कि पुराने पढे हुए विषय की अद्यतन जानकारी आपकी पढाई में शामिल नहीं है।
जो अच्छे तैयार हैं, उन्हे ही अच्छा करें। कमजोर विषय या क्षेत्र को बेहतर करने में वक्त जाया न करें।
परीक्षा छोडने के बारे में कतई न सोंचे। यह आपक ी आईएएस बनने की संभावना को बहुत अधिक कम कर देगा। ऐसा सोचना पलायनवादिता है, समझदारी नहीं।
ग्रुप स्टडी यदि कर रहे हैं, तो बंद कर दें। यदि करना बहुत जरूरी है तो बहस बिल्कुल न करें। दो से ज्यादा लोगों का इस नाजुक वक्त में साथ पढना घातक है।
द्वितीय प्रश्नपत्र से डरने की जरूरत नहीं
बोधगम्यता का टॉपिक अंग्रेजी बोधगम्यता वाले से इस मायने में भिन्न है कि यह अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों भाषा में होगी। आपसे अपेक्षा की जाती है कि रोजमर्रा की पढाई के दौरान ही इस टॅापिक को मस्तिष्क में रखते हुए तैयारी करें। टॅापिक का उद्देश्य यह जानना है कि लिखित सामग्री से वही अर्थ आप लेते हैं या नहीं, जो लेखक के मन में है। जरूरी है कि गद्यांश को कम से कम तीन बार पढंे। केंद्रीय भाव, वाक्यों, सूचनाओं को रेखांकित कर लें। उत्तर देते वक्त ऐसी सूचना का प्रयोग न करें, जो गद्यांश में न हो। आप इस तरह की प्रैक्टिस अवश्य करें।
वैयक्तिक कौशल संप्रेषण कौशल का उद्देश्य आपकी प्रभावी अंतर वैयक्तिक संबंध निर्माण कौशल एवं प्रभावी संप्रेषणीयता को परखना है। इसी के अंतर्गत नेतृत्व क्षमता, साक्षात्कार, सामूहिक विमर्श व भाषा जैसे गुणों के अतिरिक्त समझौता वार्ता, आदान-प्रदान विश्लेषण तथा प्रभावी श्रवण के साथ अन्य मौखिक एवं गैर मौखिक संपे्रषण प्रतिभा का भी मूल्यांकन किया जाएगा। आप यह सोचकर इसकी तैयारी करें, तो बेहतर होगा।
तार्किक कौशल एंव विश्लेषणात्मक क्षमता का यह टॅापिक भारत के प्राचीनतम विषयों में से एक है। इसमें सूचनात्मक तर्कशास्त्र तथा के आधार पर निर्बल-सबल तर्क, संख्या व्यवस्था मशीन और अवधारण पर आधारित प्रश्न होंगे। इस टॅापिक पर जितना अधिक अभ्यास किया जाएगा, परिणाम उतना ही सकारात्मक होगा। ठ्ठ निर्णय लेना एवं समस्या समाधान का यह विषय हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है। इस टॅापिक का उद्देश्य लोकसेवक के रूप में आपकी लोक संग्रही निर्माण क्षमता का मूल्यांकन करना है। प्रश्नों की प्रकृति परिस्थितिजन्य समस्या मूलक, मानदंड पर आधारित व्यक्ति चयन, जिम्मेदारी निर्वहन के लिए उचित व्यक्ति को उत्तरदायी बनाना जैसी होगी। आप इस तजरह के प्रश्नों का अधिक अभ्यास करें।
संख्या पद्घति और चार्ट, चार्ट ग्राफ, तालिका व आंकडों की पर्याप्तता आदि से संबंधित प्रश्नों का अधिक अभ्यास करें। मानसिक योग्यता की तैयारी के लिए हाईस्कूल स्तर की गणित तथा रीजनिंग पर आधारित प्रश्न होंगे। अंग्रेजी भाषा के लिए व्याकरण जरूरी है, लेकिन बिना व्याकरण के भी भाषा समझी जा सकती है। अंग्रेजी अखबार का संपादकीय पेज पढने के साथ ही अंग्रेजी व्याकरण पढना जरूरी है।
अंशुमन द्विवेदी
(लेखक लखनऊ के एक आईएएस कोचिंग इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं)