'हलीम' उवाच
भारतीय सेना का बलात्कार
इस बार की पाक कार्रवाई कोई रूटीन कार्रवाई नहीं है बल्कि महीनो या कहें सालों से चल रहे नए प्रकार के छद्म युद्ध का ट्रेलर है।दरअसल पाकिस्तान भारत के साथ न तो कभी आमने सामने की लड़ाई में जीत पाया है और न ही घुसपैठ के लम्बे अभियान से ही उसे कोई बड़ा फायदा हुआ है; इसलिए इस प्रकार भारतीय सैनिकों में दहशत बनाने और इस बहाने भारतीय राजनीति में खलबली मचाने की उनकी योजना है। क्योंकि हालिया मैत्री संबंधों की शुरुआत न तो ISI को पसंद आ रही है और न ही तालिबान समर्थित सेना को।
इसके साथ ही पाकिस्तान ने कारगिल के बाद काफी शक्ति अर्जित कर ली है एवं चीन के प्रोत्साहन तथा शस्त्र सहायता के बल पर भारत को पहल करने के लिए उकसाना चाहता है। चीन के हाल में अरुणाचल पर दावे और सीमा पर घुसपैठ को भी इस सन्दर्भ में जोड़कर देखा जाना चाहिए।
हालाँकि भारत सरकार ने इसे 'उकसावे की करवाई' बताते हुए पाकिस्तान को बाज आने को कहा है लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला। भारत को पाकिस्तान से दो टूक शब्दों में कहना पड़ेगा कि यदि वह सेना, ISI और तालिबान पर नियंत्रण नहीं लगा सकता; आतंकवादियों को अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता तो उसे कोई हक नहीं कि भारत के साथ क्रिकेट, राजनीति, व्यापार अथवा किसी भी प्रकार के सम्बन्ध रखे। जब तक पाक आतंकवादियों को रोकने में विफल रहता है तब तक न तो पाकिस्तानियों को वीजा दिया जाए, न किसी पाक अधिकारी से कोई वार्ता हो और न ही पाक उच्चायोग को भारत में रहने दिया जाये।
इस प्रकार भी पाक अगर दबाव न माने और वहाँ से भारत विरोधी गतिविधियाँ जारी रखे तो अंतिम रास्ता युद्ध तो है ही।
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