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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

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'हलीम' उवाच
ज़िन्दगी में आपकी जो भी दर्द-औ-ग़म हों,
मुसीबतें हों परेशानियाँ या रुस्वाइयाँ हों.
बस परवरदिगार से यही है दुआ हमारी,
कि नई साल के आते ही हवा हों सारी.
 निषेध कुमार कटियार 'हलीम'

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