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बुधवार, 29 दिसंबर 2010

यह कैसी आजादी

'हलीम' उवाच

छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता विनायक सेन पर जिस तरह राजद्रोह लगाकर सीँखचोँ मेँ कैद कर दिया गया है वह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।इस तरह तो हर आदर्श पत्रकारिता और हर सामाजिक संगठन जो सच सामने लाना चाहते हैँ और अन्याय के खिलाफ लड़ते हैँ वे भी इसकी जद मेँ आ जाते हैँ।हाय रे अपने ही देश मेँ सच बोलने का हक नहीँ है।ये कैसा लोकतंत्र है?इस सरकार ने तो न्याय, प्रजा, आचार, अर्थव्यवस्था सब का बलात्कार कर दिया।