'हलीम' उवाच
अख़बार
आज सुबह जब मैं अख़बार देख रहा था;
देश के हालत पर नेताओं को कोस रहा था.
हर एक कॉलम पर नज़र घूमी मेरी एक बार,
लूट, हत्या, रेप, ग़बन से भर गया अख़बार.
अख़बार के पन्ने बढ़ा दें क्यों न फिर श्रीमान,
सजी रहे अपराध और पापों की यह दूकान.
दूकान में ज़रूरी है तिलिस्म, मनोरंजन और रोमांच,
पिघलती बुद्धि-नैतिकता, कड़ी है नोट की ये आँच.
चार-पाँच की मौत बस 'पाँच' लाइन में आती है,
और जागृति की खबर 'सामूहिक कॉलम' पाती है.
फ़िल्मी सितारे छा रहे, 'एड' भरते जा रहे.
भूख के उपाय 'शॉपिंग मॉल्स' से बतला रहे.
है किसे चिंता! किसानों की ज़मीनें बिक रहीं,
उन पर खड़ी अट्टालिकाओं की पुराणें बिक रहीं.
'नित-तरक्की' के नए सोपान इनमें दीखते,
पर मिलों के बंद तालों पर नहीं कुछ लीखते.
छोड़ यह क्या रट लगाये, तू रोटी-रोटी करता है;
ग़रीब का पेट तो 'बत्तीस' रूपए में भरता है.
हट! देखता तू नहीं, मंत्री जी इधर आ रहे,
बीच में न बोलना! हम 'बाइट' उनकी बना रहे.
आर्थिक सुधारों को दिखाने का बढ़ा व्यापार,
अब अमीरों के बेडरूम भी दिखलाएगा अख़बार.
ग़रीबी ख़त्म होने के ख़ूब दावे आप पाएँगे;
ग़रम-चिकने चेहरे अब पहले पेज पर छापे जाएँगे.
सब भ्रष्ट ख़बरों को सही स्थान वही दे पाएगा,
जो अख़बार अपने पृष्ठों की गिनतियाँ बढ़ाएगा.
-निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
देश के हालत पर नेताओं को कोस रहा था.
हर एक कॉलम पर नज़र घूमी मेरी एक बार,
लूट, हत्या, रेप, ग़बन से भर गया अख़बार.
अख़बार के पन्ने बढ़ा दें क्यों न फिर श्रीमान,
सजी रहे अपराध और पापों की यह दूकान.
दूकान में ज़रूरी है तिलिस्म, मनोरंजन और रोमांच,
पिघलती बुद्धि-नैतिकता, कड़ी है नोट की ये आँच.
चार-पाँच की मौत बस 'पाँच' लाइन में आती है,
और जागृति की खबर 'सामूहिक कॉलम' पाती है.
फ़िल्मी सितारे छा रहे, 'एड' भरते जा रहे.
भूख के उपाय 'शॉपिंग मॉल्स' से बतला रहे.
है किसे चिंता! किसानों की ज़मीनें बिक रहीं,
उन पर खड़ी अट्टालिकाओं की पुराणें बिक रहीं.
'नित-तरक्की' के नए सोपान इनमें दीखते,
पर मिलों के बंद तालों पर नहीं कुछ लीखते.
छोड़ यह क्या रट लगाये, तू रोटी-रोटी करता है;
ग़रीब का पेट तो 'बत्तीस' रूपए में भरता है.
हट! देखता तू नहीं, मंत्री जी इधर आ रहे,
बीच में न बोलना! हम 'बाइट' उनकी बना रहे.
आर्थिक सुधारों को दिखाने का बढ़ा व्यापार,
अब अमीरों के बेडरूम भी दिखलाएगा अख़बार.
ग़रीबी ख़त्म होने के ख़ूब दावे आप पाएँगे;
ग़रम-चिकने चेहरे अब पहले पेज पर छापे जाएँगे.
सब भ्रष्ट ख़बरों को सही स्थान वही दे पाएगा,
जो अख़बार अपने पृष्ठों की गिनतियाँ बढ़ाएगा.
-निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
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