'हलीम' उवाच
आओ तुम्हें प्यार करना सिखा दूँ,
अपने लबों को लबों पे सजा दूँ.
करो ग़म न कोई न बैठो परेशां,
मानोगी तुम गर तुम्हे फिर हंसा दूँ.
छुपाती हो दिल की उल्फत मुझी से,
कर दो बयां कहो मैं सुना दूँ.
कभी आ के बैठो पहलू में मेरे,
दौलत मोहब्बत की तुम पर लुटा दूँ.
-निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
9450505825,
haleem.nishedh@gmail.com, www.haleem-haleem.blogspot.com
कानपुर
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