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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

'हलीम' उवाच

आओ तुम्हें  प्यार करना सिखा दूँ,
अपने लबों को लबों पे सजा दूँ.
 
करो ग़म न कोई न बैठो परेशां,
मानोगी तुम गर तुम्हे फिर हंसा दूँ.
 
छुपाती हो दिल की उल्फत मुझी से,
कर दो बयां कहो मैं सुना दूँ.
 
कभी आ के बैठो पहलू  में मेरे,
दौलत मोहब्बत की तुम पर लुटा दूँ.

-निषेध कुमार कटियार 'हलीम'
9450505825, 
haleem.nishedh@gmail.com, www.haleem-haleem.blogspot.com
कानपुर

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