'हलीम' उवाच
MOTHER'S DAY पर बेवजह का ड्रामा दिखाने वालोँ- माँ की परिभाषा बड़ी विस्तृत है। इसे सिर्फ अपनी माँ तक सीमित मत करो। जिन्हेँ ट्रेन बस मेँ सीट तक नहीँ देते वो भी माँ है, जिस कुदरत की तुम्हेँ कोई चिँता नहीँ वो भी माँ है, जिस धरती ने सिर्फ तुम्हेँ ही नहीँ तुम्हारी माँ को भी पाला है उस के साथ गद्दारी करते हो, भविष्य की बनने वाली माँ को गर्भ मेँ ही मार देते हो। क्या अब भी तुम्हेँ लगता है कि तुम एक माँ के साथ न्याय कर रहे हो और तुम्हेँ Mother's Day मनाने का अधिकार है? पुनर्चिँतन करो।
-हलीम
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