तबलीगी मरकज

बुधवार, 19 अक्टूबर 2011


आप ऐसे न मुझको छला कीजिए

करिए वादा अगर तो मिला कीजिए ।।

कोई भी ना रहे प्यार के दरमियाँ

अब ख़तम बीच का फ़ासला कीजिए ।।



काली गहरी अमावस की रातों में भी

बन के दीपक हृदय में जला कीजिए ।।

अब तो गलियों में भी चर्चे होने लगे

साथ मेरे नहीं अब चला कीजिए ।।



देख भँवरे दीवाने से हो जाएंगे

आप बन कर कली मत खिला कीजिए ।।

आपका है ये बस, आपका है
कोई शिक़वा अगर हो, गिला कीजिए ।।

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